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गोरखपुर को मिले नए जिलाधिकारी

गोरखपुर…

मूल कैडर में वापस भेजे गए डीएम के विजयेंद्र पांडियन

अपने कामों से देश भर में चर्चा में रह चुके हैं गोरखपुर के नए डीएम विजय किरण आनंद

मरीज की खून देकर बचाई थी जान

गोरखपुर।विजय किरण आनंद की गिनती 2009 बैच के तेज तर्रार आईएएस अफसरों में होती है। वे मूल रुप से बंगलूरु के रहने वाले हैं।लंबे समय से गोरखपुर के डीएम रहे के विजयेंद्र पांडियन का रविवार की देर रात यहां से ट्रांसफर हो गया। उनकी जगह 2009 बैच के आईएएस अधिकारी विजय किरण आनंद को गोरखपुर का नया डीएम बनाया गया है। इससे पहले वे महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परिजयोजना निदेशक के पद पर तैनात थे। जबकि तमिलनाडू कैडर से प्रतिनियुक्ति पर आए गोरखपुर के डीएम के विजयेंद्र पांडियन की समय सीमा पूरी होने पर उन्हें उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया। उम्मीद है सोमवार की शाम तक नए डीएम विजय किरण आनंद यहां अपना कार्यभार संभाल लेंगे।
विजय किरण आनंद की गिनती 2009 बैच के तेज तर्रार आईएएस अफसरों में होती है। मूल रुप से बंगलूरु के रहने वाले विजय किरण की पहली पोस्टिंग बागपत में एसडीएम के पद पर हुई थी। इसके बाद वे सीडीओ बाराबंकी बनें। बतौर डीएम उन्होंने शाहजहांपुर और वाराणसी में कार्यकुशलता पूर्वक काम किया। इसके बाद वे उत्तर प्रदेश महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवं राज्य परिजयोजना निदेशक के पद पर तैनात रहे। यहां से सीएम योगी ने उन्हें अपने गृह जनपद गोरखपुर का डीएम बनाने की स्वीकृति दी है।
विजय किरण बतौर डीएम शाहजहांपुर में खुले पर शौच के खिलाफ अभियान चलाए थे। वे जहां भी रहते हैं, वहां अतिक्रमण करने वालों पर उनकी पैनी निगाह होती है। गिनती अनुशासन प्रिय और सख्त मिजाज अफसरों में होती है। जनता की समस्याओं के निपटारे पर में लापरवाही के खिलाफ वे हमेशा सख्त देखे गए हैं।वहीं, शाहजहांपुर में महज 12 दिन के कार्यकाल के दौरान वे मानवता की मिसाल पेश कर देश भर में चर्चा में आ गए थे। वे एक सरकारी हॉस्पिटल में महज इंस्पेक्शन के लिए पहुंचे थे। हॉस्पिटल में 23 साल की लड़की को दर्द से तड़पता देख उनका मन भावुक हो उठा और उन्होंने डॉक्टरों से बात की तो डॉक्टर पल्ला झाड़ चुके थे। इसके बाद उन्होंने तुरंत खुद ब्लड डोनेट कर उसकी जान बचा ली। खून पाने वाली लड़की रीना ने डीएम को अपना भगवान बताया था।