महराजगंज/ईश्वर शरण शुक्ला
महराजगंज जिले में दवा के बड़े कारोबारी यानी ड्रग माफिया गोविंद गुप्ता के घर से 682 करोड़ की दवा पकड़ी गई जिसमें प्रतिबंधित दवाए भी थी आख़िर कैसे करोड़ो के दवा का कारोबार करता था ड्रग माफिया गोविंद कहीं सरगना कोई और तो नही …
ऐसे में एक बार मन ये भी सवाल उठते हैं ड्रग विभाग क्यू नही लेता ब्योरा ड्रगिस्ट एन्ड केमिस्ट से कैसे एक आम आदमी कर लेता करोडों का व्यवसाय कैसे छुप जाती पुलिस और ड्रग इंस्पेक्टर से ड्रग माफिया का आयुष मेडिकल एजेंसी की प्रतिबंधित दवाए जिसका खुलासा अचानक एक ईमानदार उपजिलाधिकारी कर देते हैं क्या पहले कोई अधिकारी ईमानदार नही थे या उनका रुझान नही था नाशिली दवाओं के कारोबारियों पर ऐसे में संदेह के घेरे में पूर्व अधिकारी भी हो सकते हैं आख़िर अचानक तो नही इतनी बड़ी खेप में अरबों रुपए की दवाए तो नही आ सकती मेडिकल एजेंसी पर क्या कही ऐसा तो नही बार्डर की पुलिस और SSB ,कस्टम और ड्रग इंस्पेक्टर में से किसी को अपना बना कर करता रहा गोविंद अरबों के दवाओं का गोलमाल जिसकी दवाए तो पुलिस को मिल गई पर गोविंद गुप्ता पुलिस की गिरफ्त से दूर हो गया ।ऐसे में एक सवालों का अंबार जनता के बीच घूम रहा है बार्डर बन्द फ़िर अरबों की दवाए आती जाती रही आख़िर कैसे ?
अरबो की दवाओं की खेप पकड़ने और आय दिन तस्करों पर नकेल कसने वाले ईमानदार उपजिलाधिकारी से तस्कर परेशान तो नही इतना नुकसान करने के बाद कहीं कोई टिगड़म तो नही सेट कर रहे तस्कर ऐसे ईमानदार अधिकारी को हटाने की जिसके आने के बाद कुछ …..और तस्कर कंगाली के कगार पर आ गए जिससे उनका व्यसाय खत्म होने के कगार पर है।
ऐसे तस्करों को किसके बल और सहयोग से इतनी ताकत मिलती थी और किसका हफ़्ता और महीना बाटता था जो अब बन्द हो गया ….क्या गोविंद जैसे माफिया के पकड़ाने से खुलेंगे राज और गोविंद आ सकता है पुलिस की गिरफ्त में जो पुलिस ,ड्रग इंस्पेक्टर बार्डर के जवान के आंखों में धूल झोंक कर करता रहा प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार जिसके पकड़े जाने से पूरे उत्तरप्रदेश में एक छोटे से जिले ने अपना नाम रौशन कर लिया अब ऐसे में कैसे सुलझेगा अरबों के दवाओं की गुथ्थी।???
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