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मनीष हत्या कांड में SIT की जाँच में अलग खुलासा

गोरखपुर/ब्यूरो

मनीष गुप्‍ता हत्‍या कांड एसआईटी की जांच के दायरे में छह नहीं,12 पुलिसवाले

सुत्रो के हवाले से

गोरखपुर/कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की एसआईटी जांच के दायरे में सिर्फ छह नहीं, बल्कि 12 पुलिसवाले हैं। इंस्पेक्टर जेएन सिंह सहित छह पुलिस वाले तो किन्हीं न किन्हीं कारणों से घटनास्थल से जुड़े हुए हैं। इनके अलावा छह ऐसे पुलिसवाले,जो घटना से 12 घंटे पहले और घटना के बाद इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज के फरार होने तक साथ रहे हैं, वे भी जांच की जद में हैं। इनमें हमराही सिपहियों के अलावा थाने के दरोगा और मुंशी भी शामिल हैं। यानी जेएन सिंह द्वारा घटना के बाद जीडी में दर्ज की गई कहानी में जितने भी पुलिस कर्मियों के नाम हैं वे सभी तो पूछताछ के दायरे में हैं। अजय कुमार का जीडी में तो जिक्र नहीं है पर मनीष को ट्रामा सेंटर लेकर जाने वाले पर्चे में उनका नाम है, लिहाजा वह भी पूछताछ और बयान के दायरे में हैं। पंचनामा भरने वाले मेडिकल कालेज के दरोगा से भी एसआईटी ने बयान लिया है।
मनीष की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी एसआईटी ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा की पूरी गतिविधियों की भी जानकारी जुटाई है। इसके अलावा जेएन सिंह के साथ घटना से पहले और घटना के बाद हमराह रहे पुलिसवाले और दरोगा का भी एसआईटी ने बयान दर्ज किया है। 12 पुलिस कर्मियों में इंस्पेक्टर जेएन सिंह, एसआई अक्षय मिश्रा, विजय कुमार यादव, राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार को एसएसपी ने घटना की लापरवाही में निलम्बित किया है। वहीं जेएन सिंह,अक्षय मिश्रा और विजय यादव के खिलाफ नामजद व तीन अज्ञात सहित छह पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। ये पुलिसवाले एसआईटी के सामने बयान देने नहीं आए हैं। आरोपियों में कुछ फरार हैं तो कुछ गोपनीय ठिकाने पर छिप कर सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
इसके अलावा एसआईटी ने कांस्टेबल प्रवीण पांडेय, अंकित कुमार सिंह, कांस्टेबल सचिन कुमार यादव,मुंशी हरीश कुमार गुप्ता,वरिष्ठ उप निरीक्षक अरुण कुमार चौबे, एसआई अजय कुमार और पंचनामा करने वाले मेडिकल कालेज चौकी के दरोगा का भी बयान दर्ज किया है। प्रवीण पांडेय, अंकित कुमार सिंह और सचिन कुमार यादव घटना के बाद इंस्पेक्टर के हमराही थे। एसआईटी ने यह जानने की कोशिश की कि उन्होंने बाद में क्या देखा और सुना। वहीं जीडी में देर से तस्करा डालने के साथ ही अन्य गतिविधियों के बारे में मुंशी हरीश गुप्ता से जानकारी ली तो दरोगा अजय कुमार से पूछा कि वह मनीष गुप्ता को कहां से मेडिकल कालेज ले गए थे।
जेएन सिंह ने मेडिकल कालेज ले जाने और मनीष की मौत के बाद निगरानी का जिम्मा जीडी के हिसाब से दरोगा विजय यादव और राहुल दुबे को दिया था। ऐसे में एसआईटी ने अजय से पूछा कि आखिर उन्हें मनीष गुप्ता को अस्पताल ले जाने के लिए किसने कहा, अगर वे हास्पिटल ले गए तो फिर जेएन सिंह ने जीडी में उनका नाम क्यों नहीं दर्ज किया? फरार चल रहे पुलिस कर्मियों के असलहों के बारे में भी एसआईटी ने जानकारी ली। इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज ने तो रिवाल्वर और पिस्टल जमा कर दी थी पर अन्य पुलिसकर्मियों के असलहे कहा हैं? क्या वह लेकर फरार हो गए हैं या फिर उन्होंने भी जमा किया है, इसके बारे में भी जानकारी जुटाई।