दिल्ली/हेड
निश्चिंत रहें! देश में कोयले की कोई कमी नहीं, बिजली की नहीं होगी किल्लत: केंद्र सरकार
नई दिल्ली देश में कोयले की किल्लत के चलते बिजली कटौती की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने एक बार फिर साफ किया है कि कोयले की कोई किल्लत नहीं है। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोयले की आपूर्ति जारी है। जल्द ही सभी थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक होगा। प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल इंडिया ने सोमवार को 19.4 लाख टन कोयले की आपूर्ति की है। यह घरेलू कोयला की अब तक सबसे बड़ी आपूर्ति है। उन्होंने कहा कि 15-20 दिन का कोयला स्टॉक था, वह कम हुआ है। पर अब कोयला आपूर्ति तेज हो गई है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है।
कोयला मंत्री ने कहा कि अत्यधिक बारिश की वजह से कोयला उत्पादन का काम प्रभावित हुआ। इसके साथ आयतित कोयला की कीमतों में भी अचानक वृद्धि हुई, इससे घरेलू कोयला पर दबाव बढ़ा है। उनके मुताबिक जिन पावर प्लांट ने अपना उत्पादन बंद या कम किया है, वह आयतित कोयला पर आधारित थे।
कई राज्यों के कोयला की कमी की मांग पर उन्होंने कहा कि वह किसी राज्य का नाम नहीं लेना चाहते। पर जनवरी से जून तक हम राज्यों से अपना स्टॉक बढ़ाने का आग्रह कर रहे थे, पर यह राज्य और कोयला भेजने से मना कर रहे थे। उस वक्त हमारे पास 10 करोड़ टन से ज्यादा कोयला मौजूद था। कोयला मंत्रालय ने रविवार को भी कहा था कि पावर प्लांट की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयला की पर्याप्त भंडार है।
कोयला मंत्री ने खुद ट्वीट कर कहा था कि उन्होंने स्थिति की समीक्षा की है। कोयला की वजह से बिजली संकट की आशंका पूरी तरह बेबुनियाद है। इस बीच, पावर प्लांट में 11 अक्तूबर की स्थिति के मुताबिक, 15 प्लांट के पास एक दिन की जरूरत का भी कोयला नहीं है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 पावर प्लांट के पास एक दिन का, 20 पावर प्लांट के पास दो दिन और 21 प्लांट के पास तीन दिन का स्टॉक है। वहीं, 20 प्लांट के पास 4 दिन, पांच के पास पांच दिन और आठ पावर प्लांट के पास छह दिन का स्टॉक है। किसी भी प्लांट के पास सात दिन का स्टॉक नहीं है। जबकि नियम के मुताबिक कम से कम 20 दिन का स्टॉक रखना होता है।
कोयला किल्लत के लिए केंद्र जिम्मेदार: एनसीपी
वहीं, एनसीपी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि देश में कोयले की मौजूदा किल्लत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है जिस वजह से कई विद्युत संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति में कमी आई है।
एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कोयले की कमी के कारण कई विद्युत संयंत्र काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोयले के आयात के बावजूद कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस पर विदेशी मुद्रा खर्च भी हो रही है। मलिक ने कहा कि भूतपूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भविष्य में देश की बिजली की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोयला नीति बनाई थी। एनसीपी नेता ने कहा कि लेकिन तब विपक्ष में बैठी भाजपा ने कोयला घोटाले का आरोप लगाया और इस नीति को वापस लेना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि कुछ कंपनियों को कोयला खदानें दे दी गई हैं, लेकिन वहां अब तक खनन शुरू नहीं हुआ है।
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