लख़नऊ /मोहम्मद राहिल
UP: योगी सरकार का बड़ा फैसला, अब तंबाकू, सिगरेट बेचने से पहले लेना होगा लाइसेंस
लखनऊ. तंबाकू (Tobacco) की बढ़ती समस्या और जनस्वास्थ्य को इससे हो सकने वाले खतरे का ख्याल रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने फैसला किया है कि राज्य में सिर्फ उन्हीं विक्रेताओं को तंबाकू, सिगरेट और संबद्ध उत्पाद बेचने की इजाजत होगी जो इसके लिए नगर निगम से लाइसेंस लेंगे. वालंट्री हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम का स्वागत करता है. राज्य में तंबाकू की बिक्री के नियमन के लिए तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग को आवश्यक बना दिया गया है. तंबाकू उत्पादों तक पहुंच का नियमन करने के लिए तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग महत्वपूर्ण है।
इसमें कहा गया है कि लाइसेंस में यह शर्त / प्रावधान शामिल करना उपयुक्त होगा कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें गैर तंबाकू उत्पाद जैसे टॉफी, कैन्डी, चिप्स, बिस्कुट, शीतल पेयर आदि नहीं बेच पाएंगी. इनमें खासतौर से ऐसी चीजें हैं जो तंबाकू का उपयोग करने वालों के लिए नहीं हो और खासतौर से बच्चों के लिए हो. केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने भी भविष्य की पीढ़ी की रक्षा के लिए ऐसी ही एडवाइजरी सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को भेजी है और तंबाकू उत्पाद बेचने वाली ज्यादा दुकानें खोलना हतोत्साहित करने के लिए कहा है. भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा करवाए गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 35.5% वयस्क (15 साल और ऊपर) किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं. तंबाकू के उपयोग के कारण होने वाली बीमारी की कुल प्रत्यक्ष और परोक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 1.8% है.
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