आज़ादी से लेकर अब तक देश की सभी राजनीतिक दलों ने मुस्लिम और दलितों को सिर्फ ठगने का काम किया है: जमियतुर्राइन
जमीयतुर्राइन अब आँख बंद कर किसी भी दल या नेता का समर्थन नहीं करेगी बल्कि पहले ससम्मान अपने समाज की हिस्सेदारी सुनिश्चित कराएगी- शमशाद राईन
लखनऊ// मुस्लिम और दलित समाज देश का एक अहम हिस्सा है लेकिन हर एक राजनीतिक दलों ने इन दोनों समाज के लोगो को सिर्फ ठगने का काम किया है लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, हमेसा ये देखने को मिलता है कि सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव पूर्व मुस्लिम और दलितों की हिमायती बनती है लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद और सरकार बन जाने के बाद ये सभी नेता मुस्लिम और दलितों को दूध में मख्खी की तरह निकाल कर फेंक देते है लेकिन अब हम और इनके झांसे में नही आने वाले है अब हम अपने हक की आवाज़ को खुद बुलन्द करेंगे और इनके ऊपर निर्भर ना रहकर अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करेंगें। ये कहना है उत्तर प्रदेश जमीउतुराईन का जमीउतुराईन देश भर में मुस्लिमों और दलितों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ एक जुट हो रही है और आने वाले 2022 विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक दलों के झांसे से बचाने के लिए लोगों को जागरुक करने का काम कर रही है उत्तर प्रदेश जमीउतुराईन के प्रदेश महासचिव शमशाद आलम राईन ने उत्तर प्रदेश सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश के हर जिले से मुस्लिम और दलितों पर उत्पीड़न की शिकायतें आ रही है लेकिन सरकार पीड़ितों की मदद करने के बजाय दोषी अधिकारी को प्रमोशन दे कर पीडितों के घाव पर नमक डाल रही है ताजा मामला बाराबंकी जिले में रामसनेहीघाट पर स्थित करीब 100 साल पुरानी मस्जिद को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ढहा दिया गया और मस्जिद ढहाने वाले एसडीएम दिव्यांशु पटेल को सरकार ने ईनाम में उन्नाव जिले का सीडीओ बना दिया। दूसरी तरफ़ सुरक्षा के नाम पर गोरखनाथ मठ के आस-पास सैकड़ों साल से रहने वाले ग़रीब मुसलमानों को प्रशासन द्वारा बिना किसी कारण घर खाली करने की नोटिस देकर प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि उन्नाव जिले के बांगरमऊ में पुलिसिया पिटाई से सब्जी बेचने वाले 18 वर्षीय फैसल की मौत के महीनों बाद अभी भी सरकार से कोई मदद नही मिली। वही जमीउतुराईन के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद सिद्दीक राईन पहलवान ने कहा कि सरकार हाई कोर्ट की अवहेलना करने वाले अधिकारियों को सज़ा देने के बजाए उनका प्रमोशन कर रही है एक तरफ़ किसान आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दू मुस्लिम के बीच 2013 मे पैदा की गई सांप्रदायिक खाई को पाट रहा है तो दूसरी तरफ खतौली में मस्जिद ढहाने की घटना फिर से उस तनाव को जिन्दा रखने की भाजपा की गन्दी राजनीतिक साजिश है। जमीयतुर्राइन के कार्यकारिणी अध्यक्ष एवं पसमांदा समाज के नेता मोहम्मद वसीम राईन ने कहा कि बुलंदशहर के खुर्जा थाना क्षेत्र मुंडाखेड़ा में माँस विक्रेता अकील को पकड़ने पुलिस उनके घर गयी थी परिवार का आरोप है कि पुलिस ने अकील को छत से नीचे फेंक दिया इलाज के दौरान अकील की मौत हो गई,पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार में ऐसी घटनाएं लोकतंत्र को शर्मसार करती है। शमशाद राईन ने अंत मे बताया कि दुनिया कोरोना से लड़ रही है तो वही सरकार मुस्लिम समाज से भेदभाव कर रही है धर्मिक स्थलों और मुस्लिम दलित समाज के लोगो को सरकार के सह पर प्रशासन प्रताड़ित कर राह है। देश और उत्तर प्रदेश में बहुत सी ऐसे घटनाएं घटी जहाँ पर मुस्लिम और दलितों के साथ अन्याय हुआ, लेकिन अफ़सोस उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ितों को कोई राहत या मुआवजा देना तो दूर, सरकार के किसी बड़े नेता ने इन घटनाओ पर प्रतिक्रिया तक नहीं दिया, साथ ही मुसलमानों और दलितों के सहयोग से विधानसभा और संसद भवन में पहुंचने वाले किसी विपक्षी दल के नेता ने भी इन मुद्दों पर बोलना अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझा,
अब हम सब अपने हक और अपने समाज को सम्मान दिलाने के लिए अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।
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