लख़नऊ/हेड
यूपी समेत कईं राज्यों के विरोध के चलते सस्ता पेट्रोल डीजल मिलने की उम्मीद टूटी
पेट्रोल डीज़ल के दामो में राहत मिलने की टूटी उम्मीद जनता को लगा बड़ा झटका
लखनऊ
राजधानी लखनऊ में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की 45वीं बैठक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित हुई। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को बड़ा झटका लगा है। बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति नहीं बन पाई है। असल में यूपी, बिहार, केरल जैसे राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर खुलकर सामने आ गए थे। इसे देखते हुए आज की बैठक में पेट्रोल-डीजल पर फैसला टल गया है।
लखनऊ के ताज होटल में जीएसटी काउंसिल की 45 वीं बैठक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित हुई। इस बैठक में जैसे ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया तो कईं राज्य इसके विरोध में खड़े हो गए। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार ,जिसमे बीजेपी शासित राज्यों ने ही पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की मांग की। जिसके चलते इस पर फैसला आगे के लिए टल गया।
बैठक से पहले ही उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि वह पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करेंगे। काउंसिल की बैठक से पहले वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा था कि उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के अंतर्गत लाने के खिलाफ है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो पेट्रोल ₹28 और डीजल ₹25 तक सस्ता हो जाएगा। राज्यों के विरोध करने का बड़ा कारण इस से मिलने वाला लाभ है। इसी कारण अधिकांश राज्य पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में नहीं है।
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