नई दिल्ली/ब्यूरो
19 नवंबर
पूरे एक साल के किसान आंदोलन के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान कर दिया है। गुरुनानक जयंती के मौके पर राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये ऐलान किया और कहा कि हम किसानों को इस कानून के फायदे अच्छे से समझा नहीं पाए, शायद हमारी तरफ से ही कोई कमी रह गई। पीएम मोदी ने अपने ऐलान में कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लिए जाने की संवैधानिक प्रक्रिया चलाई जाएगी।
संसद में कैसे वापिस होगा कानून?
आइए आपको समझाते हैं कि संसद के अंदर किसी कानून को वापस लिए जाने की प्रक्रिया क्या होती है और इसे कैसे पूरा किया जाता है। संविधान के एक्सपर्ट बताते हैं कि पार्लियामेंट में कोई भी कानून को वापिस लेने की प्रक्रिया ठीक उसी तरह होती है, जैसे कि नए कानून को लाने की प्रक्रिया होती है।
– कृषि कानूनों को रद्द करे के लिए सबसे पहले कानून मंत्रालय कृषि मंत्रालय को संशोधन भेजेगा। इसके बाद कृषि मंत्रालय के मंत्री संसद में एक बिल पेश करेंगे।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद रद्द हो जाएंगे कृषि कानून
संसद के दोनों सदनों में इस बिल पर उसी तरह वोटिंग और चर्चा होगी, जैसे कि किसी कानून को लाने पर होती है। सर्वसम्मति से सदन में अगर ये बिल पारित हो जाता है तो उसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर के बाद सरकार एक नोटिफिकेशन जारी करेगी और फिर कृषि कानून रद्द हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर लगा दी थी रोक
आपको बता दें कि देश में कृषि कानून पिछले साल सितंबर में लागू कर दिए गए थे। लोकसभा और राज्यसभा से विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी प्रदान कर दी थी। कृषि विधेयक देश में कानून के रूप में लागू होने के बाद किसानों का आंदोलन और तेज हो गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी 2021 को तीनों कानूनों पर रोक लगा दी थी। इससे पहले कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2020 को कृषि कानूनों पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार और किसान संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक पैनल का गठन करने के लिए कहा था।
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